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dr bidhan chandra roy biography: डॉ. बिधान चंद्र राय (Bidhan Chandra Roy) जीवन परिचय
- नाम: डॉ. बिधान चंद्र राय (dr bidhan chandra roy)
- जन्म तारीख: 01 July 1882 (dr bidhan chandra roy date of birth)
- जन्म स्थल: बांकीपुर, पटना, बिहार
- मृत्यु तारीख: 01 July 1962
- मृत्यु स्थल: कोलकाता, पश्चिम बंगाल
- मृत्यु का कारण: दिल का दौड़ा
- अभिभावक (Parents): माता- श्रीमती कमिनी देवी और पिता- श्री प्रकाश चंद्र राय
- नागरिकता (Citizenship): भारतीय (INDIAN)
- प्रसिद्ध (Famous): स्वतन्त्रता सेनानी (Freedom Fighter), वरिष्ठ चिकित्सक (Senior Physician), कुशल राजनीतिज्ञ (Skilled Politician), शिक्षक (Teacher)
- पोलिटिकल पार्टी: भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस
- कार्य काल (Tenure of Post): मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल
प्रथम- 23 जनवरी, 1948 से 25 जनवरी, 1950 द्वितीय- 26 जनवरी, 1950 से 1 जुलाई, 1962
- शिक्षा (Education): एम. डी. (चिकित्सक) M.D. (Physician)
- कॉलेज: कलकत्ता मेडिकल कॉलेज, पटना कॉलेज
- पुरस्कार उपाधि (Award Degree): भारत रत्न, डॉक्टर ऑफ़ सांइस
- अन्य जानकारी (Other Information): सन 1976 में राष्ट्रीय पुरस्कार 'डॉ. बी.सी.राय' इनके नाम पर आरम्भ किया गया। यह पुरस्कार चिकित्सा (Medicine), दर्शन (Philosophy), साहित्य (Literature), कला (Art) और राजनीति विज्ञान (Political Science) के लिए दिया जाता है।
डॉ. बिधान चंद्र राय | Who is dr bidhan chandra roy
dr bidhan chandra roy life history: डॉ. बिधान चंद्र राय (Bidhan Chandra Roy, जन्म: 1 जुलाई, 1882 - मृत्यु: 1 जुलाई, 1962) एक वरिष्ठ चिकित्सक (Senior Doctor), शिक्षक (Teacher), स्वतंत्रता सेनानी (Freedom Fighter), कुशल राजनीतिज्ञ (Skilled Politician) और प्रसिद्ध समाज सेवक (Well-Known Social Worker) के साथ साथ आधुनिक भारत के राष्ट्र निर्माता के रूप में भी बड़ी श्रद्धा (Great Reverence) व सम्मान (Respect) के साथ डॉ. बिधान चंद्र राय स्मरण किया जाता है।
विशेषकर बंगाल के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. बिधान चंद्र राय (The First Chief Minister Dr. Bidhan Chandra Roy) के द्वारा किए गये उल्लेखनीय कार्यों (Remarkable Work) के संदर्भ में उन्हें 'बंगाल का मसीहा' भी कहा जाता है।
जन्म | dr bidhan chandra roy birthday
bidhan chandra roy birthday: बिधान चंद्र राय का जन्म 1 July 1882 को बिहार राज्य के पटना ज़िले में बांकीपुर में हुआ था। बिधान चंद्र राय के पिता श्री प्रकाश चंद्र राय (Shri Prakash Chandra Roy) वहाँ के डिप्टी कलेक्टर के पद पर कार्यरत थे। उनकी माता का नाम श्रीमती कमिनी देवी (Smt. Kamini Devi) था। date of birth of dr bidhan chandra roy
बिधान चंद्र अपने माता पिता की पाँच संतानों में सबसे छोटे संतान थे। कहा जाता है कि डॉ. बिधान चंद्र राय (Dr. Bidhan Chandra Roy) के पूर्वज बंगाल के राजघराने (Royal Family) से सम्बंधित थे और उन्होंने मुग़लों का जमकर मुकाबला किया था। सरकारी नौकरी होते हुए भी प्रकाश चंद्र राय की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी।
शिक्षा | bidhan chandra roy education
bidhan chandra roy education: बिधान चंद्र ने बचपन से ही अनुभव किया कि उनके माता पिता धार्मिक प्रकृति के थे। उनको अच्छे संस्कार तथा आधारभूत शिक्षा तो दे सकते हैं, लेकिन आगे का सफर उन्हें अपनी मेहनत और लगन से ही प्राप्त करना होगा।
उनकी शुरुआत की शिक्षा पटना के ही एक विद्यालय से हुई। जब बिधान चंद्र 14 वर्ष के थे, तभी उनकी माता (श्रीमती कमिनी देवी) का देहांत हो गया। इस घटना के बाद उन्होंने अपने भाई बहिनों के साथ घर का कार्य स्वंय करना प्रारम्भ किया और अपने पिता को परिवार चलाने में सहयोग दिया।
उन्होंने गणित ऑनर्स पटना विश्वविद्यालय (Patna University) से की बी.ए. की परीक्षा उतीर्ण की। इस समय उन्हें एक सरकारी नौकरी का प्रस्ताव भी मिल रहा था, लेकिन उन्हें इंजीनियरिंग या डॉक्टरी के क्षेत्र में से किसी एक में जाने का विचार किया।
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उन्होंने शिवपुर इंजीनियरिंग कॉलेज (Shivpur Engineering College) और कलकत्ता मेडिकल कॉलेज (Calcutta Medical College) में प्रवेश के लिए प्रार्थना पत्र भेजे। उनका प्रार्थना पत्र दोनों ही स्थानों पर स्वीकार कर लिया गया, किंतु कलकत्ता मेडिकल कॉलेज (Calcutta Medical College) का उत्तर सबसे पहले प्राप्त होने पर वे सन् 1901 में कोलकाता चले गये।
उनका पहला वर्ष कलकत्ता मेडिकल कॉलेज (Calcutta Medical College) में बहुत ही आर्थिक संकट में गुजरा। पिता (Shri Prakash Chandra Roy) द्वारा भेजे गये कुछ रुपयों से वे जैसे तैसे बड़ी कठिन से अपना काम चलाते थे। दूसरे वर्ष में उनके पिता (Shri Prakash Chandra Roy) भी सेवानिवृत्त हो गये, तब यह आर्थिक संकट और भी गहरा गया।
उन्होंने अपने बहुत से कष्टों को झेलकर भी अपना अध्ययन करना जारी रखे, इसका अनुमान इस तथ्य से लगता है कि सिर्फ़ पाँच रुपये की पुस्तक ही ख़रीद सके अपने पाँच वर्षों के अध्ययन काल में। बाकि बचें पुस्तकों के लिए उन्हें पुस्तकालय और अपने मित्रों पर निर्भर रहना पड़ता था।
अध्ययन और अध्यापन (bidhan chandra roy education)
बिधान चंद्र रॉय, ने कॉलेज के प्राध्यापकों (Professors) और प्रधानाचार्य (Principals) को अपने व्यवहार (Behavior) और शैक्षिक प्रतिभा (Academic Talent) के बल पर बहुत प्रभावित किया। उनके प्रधानाचार्य कर्नल ल्यूकिस (Col. Lukis) उनके प्रेरणा (Inspiration) स्रोत तो बने ही, उन्होंने डॉ. राय को आगे बढ़ने में बहुत सहयोग दिया।
उन्होंने सन् 1906 में एल.एम.एस. (L.M.S) की परीक्षा उत्तीर्ण की और प्रांतीय स्वास्थ्य सेवा (Provincial Health Service) में नियुक्त हो गये। जहाँ उन्होंने रोगियों का उपचार एक चिकित्सक के रूप में करने में कठिन परिश्रम और समर्पण से कार्य किया, वहीं अपना डॉक्टरी का अध्ययन भी करते रहे।
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उन्होंने सन् 1909 में एम. डी. (M.D) की परीक्षा उत्तीर्ण की और इंग्लैंड के 'सेंट बाथोलोम्यूस' (St. Batholomeus) में कर्नल ल्यूकिस (Col. Lukis) के सहयोग से उच्च शिक्षा के लिए अध्ययन करने लगे। बिधान चंद्र रॉय ने मात्र 1200 रुपये लेकर विदेश गये और वहाँ अस्पताल में नर्स के रूप में काम करके किसी प्रकार अपनी पढ़ाई और रहने खाने का खर्चा चलाया।
उन्होंने समय से पूर्व ही एम.आर.सी.पी. (MRCP) और एफ.आर.सी.एस. (FRCS) की परीक्षा अपनी मेहनत और लगन से उत्तीर्ण की और फिर सन् 1911 में वह भारत लौट आये।
उन्होंने भारत में कलकत्ता मेडिकल कॉलेज (Calcutta Medical College), कैंपबेल मेडिकल स्कूल (Campbell Medical School) और कारमाइकेल मेडिकल कॉलेज (Carmichael Medical College) में क्रमवार अध्यापन कार्य किया। कलकत्ता विश्वविद्यालय (Calcutta University) के सन् 1916 में वह फैलो (Fellow) चुने गये।
राजनीतिक सफर | political hourney of dr bidhan chandra roy
political hourney of dr bidhan chandra roy: सन 1922 में वह कलकत्ता मेडिकल जनरल (Calcutta Medical General) के संपादक और बोर्ड के सदस्य बने। उन्हीं दिनों डॉ. राय कलकत्ता विश्वविद्यालय (Calcutta University) के उपकुलपति (Vice Chancellor) आशुतोष मुखर्जी (Ashutosh Mukherjee) के सम्पर्क में आये।
सन् 1923 में उन्होंने डॉ. राय को होने वाले बंगाल विधानसभा चुनाव (Bengal assembly elections) में चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया। कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में डॉ. राय उस समय के प्रसिद्ध नेता और अपने विपक्षी सुरेंद्रनाथ बैनर्जी (opposition Surendranath Banerjee) को पराजित किया और इस प्रकार देश की सक्रिय राजनीति में पहला क़दम रखा।
देशबंधु चितरंजन दास (Deshbandhu Chittaranjan Das), जो उनके सबसे निकटतम सहयोगी बने और लम्बे समय तक उनके साथ बने रहे। उन्होंने सन् 1925 में राजनीतिक मंच पर देश में उच्च शिक्षा (Education), चिकित्सा (Medicine) और स्वास्थ्य (Health) की समस्याओं को उठाया।
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उन्होंने हुगली नदी (Hooghly river) के प्रदूषण के कारणों और रोकथाम के संदर्भ में एक जांच समिति के गठन का प्रस्ताव प्रस्तुत किया। उन्होंने राजनीति को और मानव समाज (Human Society) की समस्याओं को सुलझाने का इस प्रकार माध्यम बनाया।
अपनी इसी योग्यता और विद्वत्ता के बल पर देश के उत्कृष्ट राजनेता (excellent statesman) के रूप में उभरे। देशबंधु जी की मृत्यु सन् 1927 में हुआ। उस घटना के पश्चात् वे कांग्रेस के समानांतर बनी स्वराज्य पार्टी (Swarajya Party) के उपनेता (deputy leader) बन गये।
बर्मा जेल (Burma jail) से लौटे सुभाष चन्द्र बोस (Subhash Chandra Bose) से उनकी सन् 1927 मे भेंट हुई। नेताजी के विचारों से डॉ. राय सहमत हुए और उन होंने अपने अगामी भाषण में कहा - भारतवासियों को आपसी मतभेद भुलाकर देश की स्वतंत्रता के लिए दृढ़ता से आगे बढ़ना चाहिए। (Indians should forget their differences and move firmly for the country's independence)
मुख्यमंत्री | The First Chief Minister of bengal Dr. Bidhan Chandra Roy
The First Chief Minister of bengal Dr. Bidhan Chandra Roy: सन 1947 में देश स्वतंत्र हुआ, तब डॉ.राय को केन्द्रीय मंत्रिमंडल में सम्मिलित करने पर विचार हुआ, लेकिन उन्होंने अपने डॉक्टरी और समाज सेवा कार्यों को प्राथमिकता देते हुए स्पष्ट रूप से इंकार कर दिया।
तब गांधी जी के कहने पर उन्हें एक कांग्रेसी होने के नाते अपने कर्तव्य के रूप में बंगाल के मुख्यमंत्री पद का दायित्व ग्रहण करना पड़ा। राज्यपाल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी (Governor Chakravarti Rajagopalachari) द्वारा 23 जनवरी 1948 को उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलायी गयी।
डॉ. राय ने अपने जीवन काल में अनेको सार्वजनिक क्षेत्रों में अपनी पूरी क्षमता और दृढ़ता के साथ कार्य किया। भारत के विभिन्न स्थानों में स्थापित संस्थान आज भी इस बात का स्पष्ट प्रमाण हैं कि वे सही मायनों में राष्ट्र निर्माता थे।
dr bidhan chandra roy hospital
dr bidhan chandra roy hospital: 'जादवपुर टी.बी.अस्पताल' (Jadavpur TB Hospital), 'चितरंजन सेवा सदन' (Chittaranjan Seva Sadan), आर.जी.खार.मेडिकल कॉलेज' (R.G.Khar.Medical College), 'कमला नेहरू अस्पताल' (Kamla Nehru Hospital), 'विक्टोरिया संस्थान (Victoria Sansthan)' और 'चितरंजन कैंसर अस्पताल (Chittaranjan Cancer Hospital)' प्रमुख हैं। उन्होंने अपनी माता के नाम पर अपने निवास स्थल को भी अस्पताल चालाने के लिए दान दे दिया। भारतीय विज्ञान कांग्रेस (Indian Science Congress) का सन् 1957 में उन्हें अध्यक्ष (President) चुना गया।
भारत रत्न | Bharat Ratna dr bidhan chandra roy
Bharat Ratna dr bidhan chandra roy: 4 फ़रवरी, 1961 में वरिष्ठ चिकित्सक (senior doctor), शिक्षक (Teacher), स्वतंत्रता सेनानी (freedom fighter), कुशल राजनीतिज्ञ (skilled politician) और प्रसिद्ध समाज सेवक (famous social worker) डॉक्टर बिधान चंद्र राय को भारत सरकार द्वारा (Government of India) 'भारत रत्न' (Bharat Ratna) से सम्मानित किया गया।
निधन | bidhan chandra roy death
bidhan chandra roy death: 1 जुलाई, 1962 को 80 वर्षीय डॉक्टर बिधान चंद्र राय को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। पूरा राष्ट्र डॉक्टर बिधान चंद्र राय की मृत्यु पर शोक में डूब गया।
उनकी मृत्यु पर महान् समाज सेविका मदर टेरेसा (great social worker Mother Teresa) स्वंय बहुत दुखी हुईं, क्योंकि जब तक डॉ. राय जीवित रहे, तब तक मदर टेरेसा और उनकी संस्था के कार्यों को उन्होंने यथासंभव सहयोग दिया था।
उनकी मृत्यु के बाद उनकी स्मृति और सम्मान में सन 1967 में दिल्ली में डॉ. बी.सी.राय स्मारक पुस्तकालय (Dr. B.C. Roy Memorial Library) और वाचनालय (Reading Room) की स्थापना की गयी।
उनके नाम पर सन् 1976 में ' डॉ. बी.सी.राय राष्ट्रीय पुरस्कार' (Dr. B.C. Roy National Award) आरम्भ किया गया। यह पुरस्कार चिकित्सा (Medicine), दर्शन (Philosophy), साहित्य (Literature), कला (Art) और राजनीति विज्ञान (Political Science) के लिए दिया जाता है।