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bhagat singh information hindi: स्वतंत्रता के प्रमुख शहीदों में भगत सिंह का नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है। उन्होंने जिस साहस एवं शौर्य के साथ भारत की आजादी के लिये अंग्रेजों से लोहा लिया वह आज के नौजवानों के लिये बहुत ही बड़ी मिसाल है। वह अपने देश के (bhagat singh information hindi) लिये जिये और अपने देश के लिये शहीद हुए। देश उनके क्रांतिकारी विचारों एवं शहादत को कभी नहीं भूल सकता है।
दुनिया भर के 20वीं शताब्दी के प्रमुख अमर शहीदों में सरदार भगत सिंह का नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है। उन्होंने भारत को गुलामी से मुक्ति दिलाने के लिये जिस साहस एवं शौर्य के साथ ब्रिटिश साम्राज्य का सामना किया,वह आज के नौजवानों (bhagat singh information hindi) के लिये एक बहुत ही बड़ी मिसाल है। वह अपने देश के लिये ही जिये और अपने देश के लिये ही शहीद हो गये।
bhagat singh born place: भगत सिंह का जन्म लायलपुर,पंजाब (जो अब पाकिस्तान में है) में 27 दिसंबर,1907 को हुआ था। उनका पूरा परिवार एक देशभक्त परिवार था जिसका प्रभाव आगे चलकर उन पर जबरदस्त पड़ा। इनके पिता किशन सिंह एवं (bhagat singh born place) इनके अन्य चारों भाई भी स्वतंत्रता सेनानी थे। मां विद्यावती ने इनका पालन-पोषण बड़े दुलार से किया था।
information about bhagat singh education: भगत सिंह बचपन से असाधारण किस्म के युवक थे। 14 वर्ष की अल्प अवस्था में ही वह पंजाब के क्रांतिकारियों के साथ काम करने लगे थे। लाहौर की डी0ए0वी0 स्कूल से 10वीं की परीक्षा पास करने के बाद जब वह इंटरमीडिएट में थे तभी इनकी विवाह की तैयारी शुरू हुई जिसके कारण वह लाहौर से भागकर कानपुर चले आये।
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यहॉं उन्हें गणेश शंकर विद्यार्थी का पूरा संरक्षण मिला। देश की आजादी के लिये अखिल भारतीय स्तर पर क्रांतिकारी दल को पुनर्गठित करने का श्रेय भगत सिंह को ही है। इसके बाद सन् 1926 में उन्हें 'नौजवान सभा' का गठन किया। इसके मुख्य उद्देश्य थे- 'स्वतंत्र भारत की स्थापना','किसानों और मजदूरों को संगठित करना','आर्थिक,सामाजिक और औद्योगिक क्षेत्र में होने वाले आंदोलनों में सहयोग करना' तथा 'एक अखंड भारत के निर्माण के लिये देश के नौजवानों में देशभक्ति की भावना जागृत करना।' इसी बीच उनकी मुलाकात सुखदेव और यशपाल से हुई। तीनों गहरे दोस्त बन गये और क्रांतिकारी आंदोलनों में बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी करने लगे।
30 अक्टूबर,1928 को लाहौर में साइमन कमीशन के विरोध करने के कारण सत्ताग्रहियों पर किये गये बर्बर लाठी चार्ज को लेकर भगत सिंह की मन में 'कमिश्नर सेंडर्स' के प्रति बड़ी घृणा हुई और उन्होंने उसकी हत्या कर दी। अप्रैल 1929 के ऐतिहासिक एसेंम्बली बम कांड के वह प्रमुख अभियुक्त करार दिये गये।
bhagat singh age at death: उन्होंने अपनी गिरफ्तारी दी तथा पर्चे फेंके। 7 अक्टूबर,1930 को भगत सिंह,राजगुरु और बटुकेश्वर दत्त को फांसी की सजा सुनाई गई और 23 मार्च,1931 को तीनों को फांसी दे दी गयी। उन्हें मात्र 24 वर्ष की अल्पायु में फांसी (bhagat singh age at death) दी गयी थी।
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भगत सिंह एक अच्छे लेखक एवं वक्ता भी थे। उन्होंने कानपुर में रहकर 'प्रताप' अखबार में बलवंत सिंह के नाम से तथा दिल्ली में की 'अर्जुन' में अर्जुन सिंह के नाम से सम्पादकीय विभाग में कुछ दिनों तक काम भी किया था। वह चंद्रशेखर आजाद जैसे क्रांतिकारी के संपर्क (bhagat singh information hindi) में आये और बाद में उनकी प्रगाढ़ सहयोगी बन गये। भगत सिंह के क्रांतिकारी विचारों,शहादत तथा दर्शन को देश कभी नहीं भूल सकता है।
एसेंबली में बम कांड में जेल जाने के बाद कैदियों के साथ अच्छा व्यवहार न किये जाने के कारण उन्होंने भूख हड़ताल भी की थी। वास्तव में इतिहास का एक अध्याय ही भगत सिंह के शौर्य तथा बलिदान की कहानियों से भरा पड़ा है। जिसका वर्णन करना आसान नहीं।
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उनकी फांसी की सजा के बाद प्रख्यात गांधीवादी पट्टाभिरमैया ने कहा था कि 'वह पूरे देश में गांधी की तरह लोकप्रिय हो गया था।' बम कांड के समय उन्होंने उस समय जो पर्चॆं फेंके थे उसमें लिखा था कि 'जनता के प्रतिनिधियों से मेरा आग्रह है कि वे पार्लियामेंट की पाखंड को छोड़कर अपने निर्वाचन क्षेत्र में लौट जायें और जनता को विदेशियों की (biography of bhagat singh in english) शोषण एवं दमन के विरुद्ध क्रांति के लिये तैयार करें।' बच्चों तुम समझ सकते हो की मात्र 23 वर्ष के नौजवान के उस समय कितने परिवक्व विचार थे।
आज पूरा देश 23 दिसंबर को उनके शहादत के मौके पर हर साल श्रद्धांजलि के रूप में शहीदी दिवस के रूप में मनाता है। भगत सिंह के उदय से न सिर्फ भारत की आजादी के आंदोलन को गति मिली बल्कि वह उस समय के नौजवानों के भी प्रेरणा स्रोत बने। वह देश की समस्त शहीदों के 'सिरमौर' हैं।